नवें दिन के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण सहित पाण्डव भीष्म से उनके वध का उपाय पूछने आते हैं। दसवें दिन की शुरुआत से ही अर्जुन और भीमसेन शिखण्डी के रथ के पहियों की रक्षा करते हुए भीष्म पर चढ़ाई कर देते हैं और दिन अन्त होते-होते भीष्म के हिस्से शरशय्या आती है।